अशोक के शिलालेख में वेद

अधिकतर अम्बेडकरवादी यह आक्षेप करते है कि अशोक ने बौद्ध ग्रन्थों का उल्लेख किया है किन्तु वेदों का नहीं किया इसलिए अशोक के समय वेद और संस्कृत नहीं थी, किन्तु उनकी यह बात बहुत झुठी है। प्रथम तो अशोक ने अपने शिलालेखों में ब्राह्मणों का उल्लेख किया है - जूनागढ के 9 वें शिलालेख में आया है - "साधु बह्मणसमणानां साधुदानं " - जूनागढ शिलालेख अब इस पर भीमटे रोने लग जाएंगे और कहेंगे कि ये बह्मण ब्राह्मण नहीं है या बौद्धों में अलग बह्मणं है। उनकी ये बात धम्मपद से ही झुठी साबित हो जाती है क्योकि बुद्ध कहते है - न जच्चा बह्मण अर्थात् जन्म से ब्राह्मण नहीं होता। इसका अर्थ हुआ कि बुद्ध के समय में जन्म से ब्राह्मण मानने वाले लोग थे जिनका बुद्ध ने विरोध किया और सभी जानते है कि वैदिक कर्मणा वर्ण व्यवस्था ही जन्मना हुई थी इसलिए बह्मण शब्द भी बुद्ध का वेदों से ही लिया है और वेद बुद्ध से पूर्व है। साथ में यहा अशोक ने श्रमण शब्द बौद्धों और पासंडी शब्द जैनों और साधु शब्द सन्यासी के लिए प्रयुक्त किया है इसलिए बह्मण शब्द वैदिक धर्मी के लिए ही होगा। अब यदि भीमटे रोना बन्द न करे तोे आगे देखे - जूनागढ़ ...