मेरे पूर्वजों ने अपने ही बहनों से सम्भोग किया था - गौतम बुद्ध

 



दोस्तो आपने कहीं बार देखा होगा कि ईसाई मिशनरी और भीमटे हिंदु धर्म ग्रंथो मे अपना गंदा मुंह घुसेड़ कर ब्रह्मा द्वारा अपनी ही पुत्री सरस्वती के साथ विवाह की झूटी कहानियां बता हिंदु धर्म को बदनाम करने की कोशिश करते है। परन्तु ये कहानी भी इनके मज़हब की तरह एक दम फर्जी है। इसका खण्डन आप यहां पर देख सकते है। 

(1. Puranic Story on Brahma's Daughter Explained 

https://youtu.be/ZQ626CC080s

2. Christianity lie about Hindu God Brahma...

https://youtu.be/p4mMmzpC7Yw

3. #Thread on All misunderstanding & Wrong information about maa sarswati 

https://threadreaderapp.com/thread/1321421358618742784.html)

लेकीन कुतर्क करने वालो को आप कितना भी सीधा जवाब दो वह फिर वही कुतर्क करेंगे। इसीलिए ऐसी परिस्थिति में प्रती उत्तर उन्ही की भाषा में दिया जाना चाहिए। ईसाईयत के बारे में तो आप पहले से ही बहुत कुछ जानते ही होंगे कि केसे गॉड ने आदम की पसलियों से इव को बनाता है और बाइबिल कि अनुसार ईसाई खुदको इसी आदम और ईव के वंशज मानते है। लेकीन बौद्ध ग्रंथों के बारे में आपको जानकारी बहुत कम होगी ऐसे में भिमटों को उत्तर देने में परेशानी होती होगी आपको। लेकीन इनके ग्रंन्थों में भी कोई कम ऐसी बातें नहीं है। आज हम एक ऐसी ही कहानी बताएंगे जब खुद बुद्ध ने स्वीकार किया था कि केसे उनके पूर्वजों ने अपनी ही सगी बहनों के साथ सहबास कर उनका शोषण किया था। 


ये कथा हमने बौद्धों के त्रि पिटक के सुत पिटक के अंतर्गत दिघ निकाय के अंबष्ट सुत के शाक्यों के उत्पति अध्याय से ली है जिसके अनुवादक महान बौद्ध पण्डित राहुल शांस्क्रेत्र्यान है। अतः कोई ये ना कहे कि हमने किसी ब्राह्मणवादी के लेख को उद्धृत किया है। इस कथा के अनुसार एक बार बुद्ध अपने ५०० भिक्षुओं के साथ कौशल राज्य के इच्छानंगल नाम के ब्राहमण ग्राम के इच्छानंगल वन खंड में विचर रहे थे। जब कौशल देश के राजा प्रशनजित को इस बात की खबर मिली तो उन्होंने अपने दरबार में उपस्थित एक अंबष्ट नामक ब्राह्मण को बुद्ध से ज्ञान की प्राप्ति के लिए भेजा। यहां गौर करिए कि अंबष्ट के गुणों को वखान करते हुए उसे तीनों वेदों का ज्ञाता बताया गया है। ये बात उन नव बौद्धों के मुंह पर तमाचा है जो कहते है की बुद्ध के समय पर वेद तो थे ही नहीं। 




राजा की आज्ञा के बाद अंबष्ट बुद्ध से मिलने गए। लेकीन जब अंबष्ट को पता चला कि बुद्ध कपिल वस्तु के शाक्य वंशी क्षत्रियों के वंशज है तब वह बुद्ध और उनके शाक्य वंश पर अनाप शनाप आक्षेप लगाने लगा क्यूंकि जब वह एक बार कपिल वस्तु गया था तब शाक्य वंशियों द्वारा अंबष्ट का अपमान किया गया था। अंबष्ट के सारे आक्षेप सुनने के बाद बुद्ध ने उससे पूछा कि तुम्हारा गोत्र क्या है...तब अंबस्ट ने उत्तर दिया कि वह कार्प्यायन गोत्र का है। तब बुद्ध ने आगे की कथा सुनाई। 

बुद्ध ने कहा “अम्बड्ट ! तुम्हारे पुराने नाम गोत्र के अनुसार, शाक््य आर्यपुत्र होते हेँ। तुम शाक्यों के दासी पुत्र हो।" (Note: यहां बुद्ध खुदके कुल को आर्य कुल का कह रहें है। अतः सभी मूलनिवासी समाज के लोग आज से बुद्ध और उसके पूर्वजों को विदेशी यूरेशियन आर्य मान बुद्ध का बहिष्कार करे)

आगे बुद्ध कहते है कि "शाक्य, राजा इस्वाकु को पितामह कह धारण करते हैं। पूर्वकालमे अम्बट्ट ! राजा इस्वाकू ने अपनी प्रिया मनापा रानीके पुत्रको राज्य देनेकी इच्छासे, उल्कामुख, करण्डु,  हत्थिनीक, सिनीसुर नामक चार बड़े लड़को को राज्य से निर्वासित कर दिया। वह निर्वासित हो, हिमालय के पास सरोबर के किनारे (एक) बल्ले झाक (+ सागौन)-वनमें वास करने लगे। (गोरी) जातिके विगत्दनेके डरसे उन्होंने अपनी बहिनोंके के साथ संवास (>संभोग) किया। तव अम्बंद्ट! राजा इस्वाकु ने अपने अमात्यों और दरबारियोंसे पूछा-कहाँ हे भो ! इस समय कुमार ?” 

तब उन्होने उत्तर दिया "दिव! हिमावन के पास सरोवर के किनारे महाशाकवन है, वहीं इस वक्त कुमार रहते हँ। वह जातिके विगब्दनेके डरसे अपनी बहिनों में साथ संवास करते हैं।"

राजा इश्वाकु ने आगे कहा--बहो! कुमार ! शाक्य (समर्थ) हैं रे! ! महाशाक्य हैं रे कुमार !” तबसे अम्बद्ठ ! व ह शाक्य के नामहीसे प्रसिद्ध हुए।  वही (इक्ष्वाकु) उनके पूर्व पुरुष थे।

इसी राजा इस्वाकु के दिशा नाम कि दासी थी। उत्तसे कृप्ण (*कण्ह) नामक  पुत्र पैदा हुआ। इसी (कृप्ण)से (उत्पन्न वंश) आगे . कार्प्यायन प्रसिद्ध हुआ। वही काप्ण्यावनोंका पूर्व पुरुष था। इस प्रकार अम्बप्ट ! तुम्हारे मातापिताओं के गोत्र का ख्याल करने से, शाक्य आर्य पुत्र होते है, तुम शाक्योंके दासी पुत्र हो। ” 

ये पूरी कथा आप यहां से पढ सकते है। 







अब जो नव भोंदू कहते है कि ब्रह्मा ने अपनी ही पुत्री सरस्वती से विवाह किया क्या वह ये बताने का कष्ट करेंगे बुद्ध के शाक्य पूर्वजों द्वारा अपनी ही बहनों के साथ सहवास को क्या कहेंगे वे???हिन्दुओं को पीता पुत्री सम्भोग की संताने कहने वाले..... नव बौद्ध क्या बुद्ध की ही तरह सिना ठोक कर ख़ुद को भाई बहन सम्भोग की संताने बोल ख़ुद को उच्च कुल का बताएंगे?????


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