कुरान मे अन्तर्विरोध

इस्लाम मे कुरान को अल्लाह की किताब माना जाता है,

और ऐसा समझा जाता है कि कुरान मे ना तो कोई कमी है

और ना ही कोई अन्तर्विरोध।

दूसरे शब्दो मे कुरान की बाते अटल और अकाट्य है

लेकिन अगर आप ध्यान से कुरान को पढ़े तो पायेँगे कि कुरान मे बहुत

सी कमियाँ है यहाँ तक कि बहुत

सी आयतेँ तो ऐसी है जो परस्पर

विरोधी है।

प्रस्तुत लेख “कुरान मे अन्तर्विरोध- मे ऐसे

ही कुछ आयतो का उदाहरण आपके समक्ष प्रस्तुत

है।

1- पहला मुसलमान कौन?? :-

क) “मुहम्मद” (सूरा अल-अनआम 6- आयत 163)

(हे मुहम्मद, लोगो से कहो) अल्लाह का कोई

साझी नही है, मुझे

तो इसी बात

की आज्ञा मिली है, और सबसे

पहला मुस्लिम (आज्ञाकारी) मै हूँ।

ख) “मूसा” (सूरा अल आराफ 7: आयत 143)

मूसा मूर्छित होकर गिर पड़ा और जब होश मे

आया तो कहा महिमा है तेरी! मै तेरे समक्ष

तौबा करता हूँ, और सबसे पहला ईमान लाने वाला मै हूँ।

ग) “कुछ जादूगर” (सूरा अस शूअरा 26: आयत 51

घ) “इब्रराहिम” (सूरा बकरा 2: आयत 127 से 133, सूरा आले

इमरान 3: आयत 67)

ङ) “आदम” (सूरा बकरा 2: आयत 37)

अब सवाल उठता है कि अल्लाह क्या खुद

नही जानता कि पहला मुसलमान कौन था??

अगर जानता है तो लोगो को उलझाकर गलत मतलब बताने के

पीछे अल्लाह का क्या मकसद है???

2- क्या अल्लाह दिखाई देता है और मुहम्मद ने अल्लाह

को देखा था?:-

और निश्चय ही मुहम्मद उसको एकबार “सिदरतुल

मुन्तका (परली वाले बेर के पार)” के पास उतरते हुये

देख चुका है

-सूरा नज्म 53: आयत 13 और 14

-मुहम्मद ने तो प्रत्यक्ष क्षितिज पर होकर उसको देखा है

--सूरा तकबीर 81: आयत 23

एक तरफ तो कुरान दावा करता है कि मुहम्मद ने अल्लाह

को देखा था वही दूसरी तरफ कुरान

कहता है कि अल्लाह दिखाई नही देता उदाहरण

देखिये-

उसको कोई देख नही सकती, बल्कि वह

खुद सबको देखने वाला है।

-सूरा अल-अनआम 6: आयत 103

-किसी इँसान कि वो औकात

-नही कि अल्लाह उससे बात करे

-सूरा अश-शूरा 42: आयत 51

-3- क्या मुहम्मद से पहले कोई नबी अरब/

-सभी कबीलो मे, मे आया था??:-

-प्रत्येक समुदाय(कबीले) के लिये कोई न कोई रसूल

-हुआ है

--सूरा युनुस 10: आयत 47

हमने हर कबीले के लिये कोई न कोई रसूल बनाया

– सूरा नह्रल 16: आयत 36

और जो भी कबीला हुये है उसमे

अनिवार्यत: एक सचेतकर्ता(रसूल) हुआ है

– सूरा फातिर 35: आयत 24

यहाँ तक कि कुरान के अनुसार अरब मे भी इब्रराहिम

और इस्माइल(जिन्होने काबा बनवाया था), हूद, सालिह,

मूसा इत्यादि नबी हुये है,

दूसरी ओर कुरान कहता है कि मुहम्मद पहले

नबी था जो अरब मे आया था, उदाहरण देखिये

(हे मुहम्मद) हमने तुम्हे रसूल बनाया, ताकि तुम ऐसे

लोगो को सचेत कर दो जिनके पास तुमसे पहले कोई सचेत

करना वाला(रसूल) नही आया था

– सूरा कसस 28: आयत 46

ताकि तू सचेत कर दे जिनके पास तुझसे पहले सचेत करने

वाला(रसूल) कोई नही आया था

-सूरा सजदा 32: आयत 3

-हमने इससे पहले ना तो उन्हे कोई किताब

-दी थी, और ना ही कोई

-सावधान करने वाला(रसूल) भेजा था

--सूरा सबा 34: आयत 44

ताकि तुम ऐसे लोगो को सावधान करो जिनके बाप दादाओ को सावधान

नही किया गया, इसी कारण वो गफलत मे

पड़े हुये है

-सूरा या॰सीन॰ 36: आयत 2 से 6

-अब सवाल उठता है कि इब्रराहिम और इस्माइल ने फिर किस अरब

-मे काबा बनाया अगर अरब मे कोई रसूल नही आया तो??

-फिर कुरान के अनुसार मक्का मदीना मे किसने

-काबा बनाया??

-हूद सालिह मूसा इत्यादि ये फिर किस अरब के

-नबी हुये???

-अगर मुहम्मद से पहले अरब के लोगो को कोई किताब

-नही दी गयी थी तो

-उस किताब के बारे मे क्या जो इस्माइल ने

-दी थी???

-अब आप लोग ही बताइये कि कुरान जब खुद अल्लाह

-ही भ्रमित है तो कुरान अटल है ये कैसे

-कहा जा सकता है??

-इँसान किससे बने??

-क) खून के लोथड़े(Blood clot) से-

-पैदा किया इँसान को जमे हुये एक खून के लोथड़े से

--सूरा अलक 96: आयत 2

ख) पानी (Water) से:-

=> अल्लाह ने हर एक

जीवधारी को पानी से बनाया

-सूरा अँबिया 21:आयत 30 और सूरा नूर 24: आयत 45

-=>और वही है जिसने पानी से एक इँसान

-को पैदा किया, फिर उसे वँशगत सँबधो और

-ससुराली रिश्तोवाला बनाया

--सूरा फुरकान 25: आयत 54

ग) गारा(Clay) से:-

हमने इँसान को सड़े हुये गारे

की खनखनाती हुयी

मिट्टी से बनाया

-सूरा हिज्र 15: आयत 26

-घ) मिट्टी से-

-आदम(इँसान) को मिट्टी से बनाया

--सूरा इमरान 3: आयत 59

=>और ये उसकी निशानियो मे से है कि उसने तुम्हे

मिट्टी से पैदा किया

-सूरा अर् रूम 30: आयत 20

-=> अल्लाह ने तुम्हे मिट्टी से पैदा किया, फिर

-वीर्य से, फिर जोड़े-जोड़े बनाया

-– सूरा फातिर 35: आयत 11

-ङ) धरती से-

-समूद की तरफ से उसके भाई सलेह को भेजा, उसने

-कहा, ऐ मेरे कौम के लोगो अल्लाह

-की बन्दगी करो उसी ने तुम्हे

-धरती से पैदा किया, और उसमे तुम्हे बसाया

--सूरा हूद 11: आयत 61

च) किसी से भी नही-

क्या इँसान याद नही करता कि हम इसे इससे पहले

पैदा कर चुके है, जबकि वो कुछ

भी नही था? (गौर करने

वाली बात है कि यहाँ पर पुनर्जन्म

की सँभावना है नही क्योकि इस्लाम

पुनर्जन्म पर यकीन नही करता)

-सूरा मरयम 19: आयत 67

-छ) बूँद(Drop) से-

-उसने इँसान को एक बूँद से पैदा किया, फिर क्या देखता है

-कि वो झगड़नेवाला बन गया

--सूरा अल नहल 16: आयत 4

=> क्या इँसान एक टपकते हुये वीर्य का बूँद

नही था

-सूरा कियामह 75: आयत 37

-जाहिर है अल्लाह पूरी तरह भ्रमित है कि इँसान

-कैसे बना??

-या फिर अल्लाह लोगो को उलझा करके बेवकूफ बना रहा है??

-या फिर कुरान अल्लाह की किताब है

-ही नही??

-2) जिन्न कैसे बने???

-कुरान के अनुसार जिन्न

-भी जीवधारी होते है और ये

-एक तरह से इँसान के जैसे होते है, कुछ जिन्न ईमान

-ला (मुसलमान) चुके है और अल्लाह की इबादत(पूजा/

-नमाज) और तस्बीह(स्तुति) करते है जबकि कुछ

-जिन्न नही करते वे बुरे(काफिर) होते है

-जिन्न बने कैसे??

-क) आग(Fire) से-

-=> और उससे पहले हम जिन्नो को लौ रूपी अग्नि से

-पैदा कर चुके है

--सूरा हिज्र 15:27

=> और जिन्न को हमने आग की लपटो से पैदा किया

-सूरा रहमान 55: 15

-ख) पानी(Water) से-

-अल्लाह ने

-सभी जीवधारियो को पानी से

-बनाया है

--सूरा 21:आयत 30, सूरा 24: आयत 45

मतलब साफ है अल्लाह जिन्नो के मामले मे

भी भ्रमित है

3) अल्लाह और उसका सिहाँसन कहाँ है???

 => वही है जिसने आकाश और

धरती को 6 दिनो मे पैदा किया फिर सिहाँसन पर विराजमान हुआ

-सूरा अल हदीद 57: आयत 4

 => वही है जिसने धरती और आकाश 6

दिनो मे बनाया- उसका सिहाँसन पानी पर था

-सूरा हूद 11-7

=> हमने इँसान को पैदा किया और हम जानते है जो बाते उसके जी मे आती है, और हम उससे उसके गरदन के रग से भी अधिक निकट है

-सूरा काफ 50: आयत 16

=> वह कार्यो की व्यवस्था करता है, आकाश से

धरती तक फिर सारे मामले

उसी की तरफ लौटते है एक दिन मे

 जिसकी माप तुम्हारी गणना के अनुसार एक

हजार वर्ष है

 -सूरा सजदा 32: आयत 5

 =>फरिश्ते और रूह(जिब्ररील)

उसकी तरफ चढ़ते है, उस दिन मे

जिसकी अवधि 50,000 वर्ष है

 -सूरा मआरिज 70: आयत 4

 गौर करने वाली बात है पहले वो सिहाँसन पर विराजमान

था या बाद मे हुआ??

गरदन की रग से भी निकट अल्लाह

का सिहाँसन???

 अगर वो वाकई मे गरदन के रग से भी निकट है

 तो कार्यो को उस तक वापस पहुँचने मे एक हजार साल कैसे लग

 सकते है???

 और आखिर वाला उदाहरण तो देखकर कोई भी सर पटक

 लेगा?

 इँसान को अल्लाह तक पहुँचने मे 1000 साल और

 फरिश्तो को पहुँचने मे 50,000 साल???

अगर फरिश्तो और जिब्ररील को अल्लाह तक पहुँचने

 मे 50,000 साल लगते है,

 तो (मुहम्मद तो 63 साल(लगभग) जिये थे लगभग 40 साल की उम्र आयते आनी शुरू हुयी थी कुरान की)

यानि 23 सालो मे जिब्ररील पूरी कुरान

की आयते कैसे ला सकता है?? जबकि अल्लाह तक

पहुँचने मे तो 50,000 साल लगते है फरिश्तो को???

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