जब बुद्ध चमत्कार दिखलाने के बाद भी असफल हुए(विनय पिटक की गप्पें)

 अम्बेडकरवादी ये दावा करते हैं कि हिन्दू धर्म में देवताओं द्वारा विभिन्न चमत्कार करने का वर्णन होने से हिन्दू धर्म पाखंड है, किन्तु इससे पूर्व कई पोस्टों में हम बौद्ध धम्म में चमत्कार दिखा चुके हैं। आज भी उसी प्रकार बुद्ध द्वारा किये गये 15 चमत्कार दिखा रहे हैं। जिससे सिद्ध हो जाएगा कि चमत्कारों के मामले में बौद्ध धम्म न केवल हिन्दुओं से बल्कि ईसाई और मुस्लिमों से भी आगे है।

विनय पिटक के महावग्ग में उरुवेला नामक तीसरे खंड में बुद्ध की एक कथा संकलित है। जिसके अनुसार बुद्ध काश्यप जाटिल नामक एक अग्निहोत्री को विभिन्न चमत्कार दिखा कर प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। वे चमत्कार निम्न प्रकार है -

1 प्रथम चमत्कार -




इस चमत्कार का हमने ऊपर चित्र दिया है, जो कि विनय पिटक के अनुवाद का ही है। इसके अनुसार इसमें बुद्ध ने एक नाग को पराजित किया है। हमारे कुछ अम्बेडकरवादी भाई कहते है कि कृष्ण द्वारा कालिया नाग मर्दन की जो कहानी है वो हरक्युलिस द्वारा हाइड्रा नाग के मर्दन की नकल है। अब उन्ही के तर्कानुसार क्यों न ये माना जाये कि यहाँ जो बुद्ध द्वारा नाग का मर्दन किया गया है, ये गप्प भी हरक्युलिस अथवा कृष्ण की नकल है। 


चित्र - कृष्ण द्वारा कालिया मर्दन




 

चित्र - हरक्युलिस द्वारा हाइड्रा मर्दन




 

चित्र - बुद्ध द्वारा योगबल से नागराज मर्दन 



इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि बौद्ध धम्म में भी गप्प और दूसरों से चुराई हुई कहानियाँ है। अब दूसरा चमत्कार देखें - 

2 द्वितीय चमत्कार                                                                                                                                     


इस चमत्कार के अनुसार बुद्ध के पास चार महाराजा उपदेश सुनने के लिये प्रकट हो जाते हैं। इससे सिद्ध है कि अचानक प्रकट होने का चमत्कार बौद्ध धम्म में भी है। अब तीसरी गप्प अर्थात् तीसरा चमत्कार देखते हैं - 


3 तृतीय चमत्कार -                                                                             


   ऊपर विनय पिटक के चित्रानुसार अबकी बार पिछले चमत्कार से एक कदम आगे बढते हुए बुद्ध ने दूसरा चमत्कार किया। जैसे पिछले चमत्कार में केवल देवताओं अथवा महाराजाओं का ही प्रकट होना बताया था किन्तु इस बार स्वयं देवराज इन्द्र प्रकट होकर उपदेश सुनते हैं। 

अब इससे आगे थोडा एडवांस चौथा चमत्कार पढें - 


4 चतुर्थ चमत्कार -                                                                                                                                  

इस चमत्कार के अनुसार अबकी बार बुद्ध के पास स्वयं ब्रह्मा जी प्रकट होेकर उपदेश सुनने आये थे। डाँ. अम्बेडकर की माने तो ब्रह्मा आदि देवता काल्पनिक है तो क्या बुद्ध धम्म में आने पर बौद्ध ब्रह्मा वास्तविक हो जाते हैं? बौद्ध धम्म ब्रह्मादि देवताओं को मानता है अतः अम्बेडकर की प्रथम प्रतिज्ञा ही बौद्ध धम्म के विरुद्ध है।

अब पाँचवा चमत्कार पढें - 

5 पंचम चमत्कार -                                                                 


                                                     

इस चमत्कार में बुद्ध को दूसरे की मन की बात जानने वाला बताया है। इसमें बुद्ध कश्यप जाटिल के मन की बात जान लेते हैं अर्थात् बुद्ध बाबा अंतर्यामी भी थे। अब छठा चमत्कार पढें - 

6 षष्ठ चमत्कार -                                                                 


                                                                  


इस चमत्कार के अनुसार बुद्ध के लिये, इन्द्र द्वारा पुष्करिणी खोदना, शिला प्रकट करना और शाखा लटकाने के चमत्कारों का वर्णन है। जो अम्बेडकरवादी लोग हिन्दू ग्रंथों में इन्द्र और सूर्य द्वारा धरती पर रथ आदि प्रकट करने के चमत्कारों का मजाक बनाते हैं वही अम्बेडकरवादी क्या अब बुद्ध के लिये इन्द्र द्वारा शिला, शाखा प्रकट करने की गप्पों का भी मजाक बनायेंगे?                                                                                              

7 सांतवा चमत्कार -                                                               

  इस चमत्कार के अनुसार बुद्ध जम्बू द्वीप के जामुन के पेड से जामुन तोडकर काश्यप जाटिल से पहले अग्निशाला में पहुँच जाते हैं। इस चमत्कार के अनुसार बुद्ध को तीव्र गतिशील बताया है अर्थात् बुद्ध शीघ्रतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रकट हो सकते हैं। काश बुद्ध इस विज्ञान को बौद्ध भिक्षुओं को बताकर जाते तो आज मोदी जी को बुलट ट्रेन लाने की आवश्यकता न पडती और न ही जापान तथा चीन जैसे देशों को बुलट ट्रेन, विमानादि बनाने की आवश्यकता होती। हनुमान जी पर मजाक करने वाले वामसेफी और कम्युनिस्ट, क्या बुद्ध का भी इन गप्पों के कारण मजाक बनायेंगे? अब आठवीं, नवी और दशमी, ग्यारहवीं गप्पे पढें - 


8 आठवाँ, नवाँ और दशवाँ तथा ग्यारहवाँ चमत्कार -                                                                                                    


इसमें आठ, नौ एवं दश नम्बर के चमत्कार के अनुसार बुद्ध उसी जम्बूद्वीप के जम्बू से आँवला, आम और हर्रे ले कर कश्यप जाटिल से पहले अग्निशाला पहुँच जाते हैं। ग्यारहवें चमत्कार के अनुसार बुद्ध पिछले 4 चमत्कारों से एक कदम आगे बढकर देवलोक में जाकर पारिजात नामक वृक्ष के पुष्प को लाकर, अग्निशाला में काश्यप जाटिल से पूर्व पहुँच जाते हैं। हिन्दू धर्म में देवताओं, स्वर्ग और पारिजात, कामधेनु गाय को काल्पनिक तथा गप्प कहने वाले अम्बेडकरवादी क्या अब इस गप्प का खंडन करेंगे?                                                      


9 बारहवाँ, तेरहवाँ, चौदहवाँ चमत्कार -                                                                                                                       


इसमें बाँरहवें चमत्कार के अनुसार बुद्ध ने काश्यप जटिल के लिए अपनी दिव्य शक्तियों से एक ही बार में 500 लकडियाँ फाड दी थी। जिससे काश्यप जटिल ने महायज्ञ सम्पन्न किया था। तेरहवें चमत्कार के अनुसार बुद्ध ने अपनी दिव्य शक्तियों से एक ही बार में 500 अग्नियाँ काश्यप जाटिल के लिए जलादी थी। इन दो चमत्कारों से ये स्पष्ट हो जाता है कि बुद्ध यज्ञादि करने में लोगों की सहायता करते थे। इससे आगे के चौदहवें चमत्कार में बुद्ध सर्दियों में 500 अंगिठियाँ उत्पन्न कर देते हैं जिससे काश्यप और उनके शिष्य अपने शरीर को तपाते हैं। 

इस प्रकार बुद्ध ने अपनी दिव्य शक्तियों से लकडियों को फाडा, आग को उत्पन्न किया और अंगिठियों के प्रकट किया। ये वर्णन तो अलाउद्दीन के चिराग को भी मात दे रहा है। बुद्ध यहाँ एक जीनी की तरह काश्यप जाटिल की हर आवश्यक वस्तु को प्रकट कर रहे हैं। हनुमान जी द्वारा पर्वत उठाने तथा कृष्ण द्वारा गौवर्धन धारण करने का मजाक बनाने वाले नवबौद्ध इस गप्प को कहाँ स्थान देंगे?                                                                          


10 पंद्रहवाँ अर्थात् पंचदश चमत्कार -                                         


    इस चमत्कार के अनुसार बुद्ध ने बाढ में बाढ के पानी को हटाकर एक धूलियुक्त भूमि को प्रकट किया तथा उस पर टहलने लगे। जब काश्यप जटिल नाँव से बुद्ध के समीप पहुँचे तो बुद्ध उडकर नाँव में जा बैठे। काश ये चमत्कार बुद्ध अपने भिक्षुओं को सिखा देते तो अशोक के बेटों को श्रीलंका जाने के लिए नाँव की आवश्यकता न होती। यहाँ हम ये कहेंगे कि जब हनुमान जी का उडना काल्पनिक गप्प है तो बुद्ध का भी उडना यहाँ एक काल्पनिक गप्प है। जब हनुमान जी के उडने के वर्णन से हिन्दू धर्म पाखंड हो जाता है तो उसी प्रकार बुद्ध के उडने से बौद्ध धम्म भी अन्य मतों के समान एक पाखंडी धम्म हो जाता है।                                                                                            

इस प्रकार 15 चमत्कारों को दिखाने पर काश्यप जाटिल बुद्ध को अर्हत नही मानता है तो बुद्ध क्रोध में आकर उसे फटकारते हैं तथा काश्यप जाटिल को मूर्ख और अज्ञानी बताते हैं। हाँलाकि बुद्ध के क्रोध और फटकार से काश्यप जाटिल संघ में शामिल तो हो जाता है किन्तु बुद्ध के चमत्कार दिखाने के बाद भी उसे अर्हत स्वीकारने से मना कर देता है। वास्तव में देखा जाये तो ये सब बौद्धों द्वारा बनाई हुई गप्पें मात्र ही है। हिन्दुओं के ग्रंथों में चमत्कारों के वर्णनों के आधार पर राम, कृष्ण को काल्पनिक मानने वाले लोगों को बौद्धों के मुख्य ग्रंथ त्रिपिटकों में उसी प्रकार के चमत्कारों के वर्णनों के आधार पर बुद्ध को भी काल्पनिक ही मानना चाहिये अर्थात् बुद्ध एक मिथ है।  


संदर्भित ग्रंथ -                                                                                                       

1) विनय पिटक - अनु. राहुल सांस्कृत्यायन  




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