आदम ने की अपनी ही बेटी से की शादी........फिर इनके बचे क्यों ब्रह्मा सरस्वती विवाह पर उछल कूद करते है

 



दोस्तो इस ब्लॉग पर हमने पहले ही ब्रह्मा और सरस्वती विवाद पर बौद्धों को उन्ही के भाषा में जवाब दे चुके हे। आज हम आदम की संतानों अर्थात उन मुस्लिम और इसाई लोगो को जवाब देंगे जो ब्रह्मा ने अपनी ही बेटी सरस्वती से विवाह किया था जेसी झूठी और भ्रामक कथा का प्रचार कर के हिंदू धर्म पर आक्षेप कर रहे हे। 

सबसे पहले ब्रह्मा सरस्वती विवाद का खंडन देख लीजिए। 

1. Puranic Story on Brahma's Daughter Explained 

https://youtu.be/ZQ626CC080s

2. Christianity lie about Hindu God Brahma...

https://youtu.be/p4mMmzpC7Yw

3. #Thread on All misunderstanding & Wrong information about maa sarswati 

https://threadreaderapp.com/thread/1321421358618742784.htm

4.Hindu god Brahma married his daughter Sarswati?| Incest |Misconception | Explained by Neeraj Atri

https://youtu.be/DJCmxuzSAZw

तो जैसा की अब प्रमाणित हे की न सरस्वती ब्रह्मा की पुत्री हैं और न ही ब्रह्मा ने अपनी किसी पुत्री के साथ कोई विवाह किया था। जिसके प्रति ब्रह्माजी आकर्षित हुए थे वोह शतरूपा थी ना की देवी सरस्वती जिनका जन्म से ब्रह्मा के मन की शक्ति से हुआ न की शारीरिक प्रक्रिया से। जबकि मुशलमानों और ईसाइयों की अम्मा इव/हवा को अल्लाह ताला/परमेश्वर योहोवा ने आदम की ही शरीर से उत्पन किया था। प्रमाण कुरान और बाइबल से ही देख लीजिए। 

और अल्लाह ने कहा: 'हे मानव जाति! अपने रब के प्रति कर्तव्यनिष्ठ बनो, जिसने तुम्हें एक ही व्यक्ति (आदम) से पैदा किया और उसी (आदम) से उसने अपनी पत्नी (हव्वा) को पैदा किया, और उन दोनों से उसने कई पुरुषों और महिलाओं को पैदा किया।'" (कुरान ४.१)

तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकालकर उसकी जगह माँस भर दिया। और यहोवा परमेश्वर ने उस पसली को जो उसने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और उसको आदम के पास ले आया। तब आदम ने कहा, “अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे माँस में का माँस है; इसलिए इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।” (बाइबल उत्पति अध्याय २ वर्स २२-२४)

शतरूपा का जन्म ब्रह्मा जी के मानस ऊर्जा से हुआ था न की उनके किसी शरीर अंग से,जेसे इव/हवा की उत्पति आदम की पसलियों से हुई थी और न ही आदम की तरह ब्रह्मा जी ने शतरूपा के साथ कोई संभध बनाए थे हां वे उनके प्रति आकर्षित अवश्य हुए थे वोह भी कामदेव के प्रभाव के कारण जिसपर दोनो को ही शिवजी द्वारा दंड मिला था और ब्रह्माजी को अपूज्य घोषित किया गया था। अर्थात इस कथा के माध्यम से इंकेस्ट का खंडन किया गया है। जबकि इस्लाम और ईसाइयत का अल्लाह/योहवा खुद आदम के ही शरीर से उत्पन हुई उसकी पुत्री इव/हवा को उसके साथ संबंध बनाने को मजबूर करता है। जहा ब्रह्माजी के द्वारा अपनी ही पुत्री के प्रती आसक्त होने पर हिंदुओं ने उन्हे अपूज्य माना तो वोही मुशलमान और इसाई आज भी गर्व से आदम को अपना पहला पैगंबर और उसे अपने ही पुत्री के साथ संबंध बनाने को प्रेरित करने वाले अल्लाह/योहोवा को ईश्वर मान उसके सामने मथा टेकते है। इसलिए जो लोग खुद पिता पुत्री संभोग की संताने है वोह ब्रह्मांजी द्वारा अपनी ही पुत्री सरस्वती के साथ विवाह करने जैसा मिथ्या आरोप ना लगाए। 



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