उत्खनन में प्राप्त यज्ञ वेदियां भाग - 2
यज्ञ वैदिक परम्परा का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यहां हम पिछली दो पोस्टों में विभिन्न कालों की प्राचीन यज्ञ वेदियां सप्रमाण प्रस्तुत कर चुके हैं। इन प्राचीन यज्ञ वेदियों से वेदों की प्राचीनता सिद्ध होती है। वेदों की प्राचीनता के साथ - साथ प्रत्येक कालक्रम में यज्ञानुष्ठान की भी सिद्धि होती है। इस पोस्ट में भी हम दो अन्य प्रमाण उत्खनन में प्राप्त प्राचीन यज्ञ वेदिकाओं का दे रहे हैं।
1) पूरोला (उत्तराखंड) में प्राप्त श्येन चित्ति -
यह यज्ञ वेदी 200 ई. पू. से 100 ईस्वी पुरानी है। यह बाज पक्षी के आकार की होने के कारण श्येनचिति कहलाती है।
2) हडप्पा से प्राप्त शील में यज्ञ वेदी और श्येन पक्षी -
यह शील आर्केलोजिस्ट श्री वत्स जी को हडप्पा उत्खनन के दौरान प्राप्त हुई थी। इसमें एक में वेदिका का चित्रण है और दूसरे में श्येन (बाज) पक्षी का चित्रण है।
यह प्रतीकात्मक रुप से श्येन याग की सूचना देता है।
इस तरह अनेकों यज्ञ प्रतीक, पात्र, वेदिकाऐं उत्खनन में प्राप्त हुई हैं, जो कि वैदिक मान्यताओं की प्राचीनता को सिद्ध करती हैं।
संदर्भित ग्रंथ एवं पुस्तकें -
1) Taxila श्येन temple is rooted in Rigveda, Indus script tradition of metalwork wealth creation (from ResearchGate )
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https://nastikwadkhandan.blogspot.com/2020/09/3.html?m=1
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