वैदिक ब्राह्मणों, यज्ञ कर्म और ज्योतिष की प्राचीनता (रोमन इतिहासकार के संदर्भ से)
हम अपने पिछले लेखों में मेगस्थनीज, पाइथागोरस आदि के संदर्भों से ब्राह्मणों व वैदिक धर्म की प्राचीनता स्पष्ट कर चुके हैं जो कि मौर्य और बुद्ध से भी प्राचीन जाता है। यह पोस्ट भी उन सभी पोस्टों का एक भाग ही है। इसमें हम कुछ और अन्य तथ्यों के साथ ब्राह्मणों और वैदिक यज्ञ आदि की प्राचीनता सिद्ध करेगें। हम भारतीय इतिहास साहित्य, ग्रंथों का प्रमाण न रखकर रोमन और पर्सियन इतिहास व पुरातत्व से प्रमाण रखेगें।
ईरान के Achaemeni साम्राज्य में लगभग 522 - 486 ईसापूर्व एक सम्राट डेरियस 1 हुए थे।
- The Royal city of Susa:ancient near eastern treasures in the Louvre, page no. xviii
यहां Susa पर राज्य करने वाले राजाओं के क्रम में डेरियस प्रथम का काल देखा जा सकता है जो कि 522 से 486 ईसापूर्व है।
यह जोरास्टर के मत को मानने वाले थे जैसा कि इनके अभिलेखों से ज्ञात होता है। अतः सांस्कृतिक रुप से यह वैदिक मत के करीब थे।
अतः वैदिकों के समान ही अवेस्तियन मतानुयायी भी यज्ञ करते हैं। डेरियस प्रथम के पिता विष्टाश्व के विषय में रोमन इतिहासकार (300 ईस्वी) Ammianus Marcellinus लिखते हैं कि डेरियस 1 के पिता विष्टाश्व ( ग्रीक व रोमन दस्तावेजों में Hystaspes) ने भारतीय वनों में जाकर ब्राह्मणों जो कि बुद्धिमान व्यक्तियों का समूह था। उन सबसे अनेकों विद्याऐं जैसे - ज्योतिष ( पृथ्वी और तारों की गति), यज्ञ विधियां आदि सीखी। विष्टाश्व ने ब्राह्मणों से सीखी हुई विद्याओं का कुछ प्रसार अपने मग लोगों के बीच में भी किया था।
इस कथन को उनकी इतिहास पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद में आप स्वयं देख सकते हैं -
- The Roman History of Ammianus Marcellinus, book xxiii, ch. vi, 33. Page no. 336
यहां pure rites of sacrifice का अर्थ यज्ञ है। इसकी पुष्टि Montague Rhodes James की पुस्तक से भी होती है क्योंकि उन्होंने भी अपनी पुस्तक में Ammianus Marcellinus का यही उद्धहरण दिया है। वहां उन्होनें लेटिन शब्दों के अनुवाद में sacrifice के स्थान पर fire worship का प्रयोग किया है।
- The Lost Apocrypha Of The Old Testament : Their titles and fragments, page no. 93
अतः Ammianus Marcellinus के संदर्भ से स्पष्ट है कि डेरियस के पिता ने भारतीय ब्राह्मणों से ज्ञान प्राप्त किया था। चुंकि उसने उन ब्राह्मणों से यज्ञ के नियम और विधि सीखी थी तो वे ब्राह्मण निश्चित ही वैदिक सिद्ध होते हैं।
(Ammianus Marcellinus रोमन इतिहासकार के साथ - साथ रोम की सेना में भी थे। उन्होंने इतिहास पर 31 पुस्तकें लिखी थी जिसमें से आज मात्र 18 पुस्तकें ही सुरक्षित हैं।)
डेरियस के पिता का नाम हमें उनके अभिलेखों में भी मिलता है। आप डेरियस के Bisutun अभिलेख में उनके पिता का नाम देख सकते हैं -
- Select Inscriptions Bearing On Indian History and Civilization vol 1, page no. 4
इसके संस्कृत रुपान्तरण में दिनेशचंद्र सरकार ने विष्टाश्व का ग्रीक नाम Hystaspes भी दिया है -
- Select Inscriptions Bearing On Indian History and Civilization vol 1, page no.5
डेरियस के Tell el Maskhuta मिस्री चित्रलिपी के अभिलेख में भी डेरियस के पिता का उल्लेख है। जिनका नाम अंग्रेजी अनुवाद में Hystaspes ही दिया है -
- Darius I In Egypt : Achaemenid Authority and Egyptian Continuity fig. 9, page no. 42
- Journal of near eastern studies vol. 74, no.2 page no. 280
इससे स्पष्ट है कि डेरियस प्रथम के पिता का नाम विष्टाश्व (ग्रीक में Hystaspes) था। अतः रोमन इतिहासकार Ammianus Marcellinus के ऐतिहासिक विवरण से सिद्ध होता है कि विष्टाश्व ने भारतीय ब्राह्मणों से यज्ञ और ज्योतिष सीखा था॥
हमें ईरानियों और भारतीयों के प्राचीन सम्बन्धों का ज्ञान अनेकों स्रोतों से पता चलता है किंतु हम यहां डेरियस के एक सुसा से प्राप्त मुर्ति के नीचे की तरफ उद्धृत अभिलेख से देते हैं। जिसमें भारत के दो प्रदेश सिन्धु ( Hindus) और गांधार का उल्लेख है।
- Ancient Persia A Concise History Of The Achaemenid Empire 550 - 330 BCE, fig. 5.2
इस मुर्ति में नीचे की ओर इजिप्टियन चित्रलिपि में विभिन्न देशों का नाम उद्धृत है।
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