बौद्धों की गद्दारी
बौद्धों ने समय-समय पर गद्दारी की है आज भी करते है। किन्तु उनकें द्वारा की गई इस गद्दारी का दुष्परिणाम भारत और विशेषकर हिन्दू आजतक भुगत रहा है। इन बोद्धों के मिथ्या अंहिसा और चिन्हों को राष्ट्रीय चिन्हों के रूप मे लेने से भी भारत की काफी हानि हुई है एक तो भारत सेकुलर देश बन गया है इसकी प्रेरणा अशोक के शिलालेख ही है। दूसरा आज भारत रोहिग्यां जैसे नरपिशाचों को भी इतनी बूरी हालत में पाल रहा है इसका भी कारण वो पंचशील आदि सिद्धान्त है जिनका मिथ्या पालन होता है।
जब मुहम्मद बिन कासिम ने सिन्ध पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में कर लिया तो वहाँ के बोद्ध भिक्षु धीरे-धीरे मुसलमान बन गये। शिवि पर जब कासिम ने आक्रमण किया तो वहाँ का शूरवीर क्षत्रिय राजा शत्रुओं का मुकाबला करने के लिए किले पर खड़ा हो गया। नागरिकों ने, प्राय बौद्ध थे। उन्होने राजा से प्रार्थना की कि युद्ध करना और शत्रुओं को मारना धर्म के विरूद्ध है, अतः आप युद्ध न करके शत्रु से सन्धि कर लें। जब वीर वत्सराज ने इनका कायरतापूर्ण परामर्श स्वीकार नहीं किया तो इन्होनें शत्रु कोे सन्देश भेजा कि यदि तुम बौद्धों को न मारने की प्रतिज्ञा करो तो हम नगर का पिछला द्वार खोल देंगे। कासिम ने इसे स्वीकार कर लिया। बोद्ध-भिक्षुओं ने नगर का पिछ्ला द्वार खोल दिया। कासिम सेनिकों सहित नगर में प्रविष्ट हो गया और मुसलमानों ने थोडें से बोद्ध भिक्षुओं को छोडकर प्रजा को खूब लूटा और अनेकों व्यक्तियों को मार दिया तथा अनेकों को दास बना लिया।
- History of india by C.V. Vaidya
पुस्तक muhammad bin Qasim : life and massage में भी लिखा है -
" कि कासिम का वहां की बौद्ध आबादी ने सहयोग किया और हैदराबाद के बौद्ध राजा और स्वीस्थान(sewsthan in book) के राजा बजहरा और काका कौलक आदि बौद्ध राजाओं ने कासिम का गुप्त रूप से सहयोग किया। "
संदर्भित ग्रन्थ एवं पुस्तकें -
1) भारत की अवनति के सात कारण - स्वामी जगदीश्वरानन्द जी
2) Muhammad bin qasim: life and massage
Main post:
https://nastikwadkhandan.blogspot.com/2018/05/blog-post_80.html?m=1
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