मित्रो !
नमस्ते हमने जापान के लिंग त्यौहार जेसे अश्लील बुद्धिस्ट त्योहार और भूटान के नग्न नृत्य जेसे वाममार्गी बुधिस्तो के बारे में आप सबको बताया था | आंबेडकर वादी बुद्ध मत को सुधार वादी बताते बताते नही थकते है .लेकिन जब हम अन्य बोद्ध देशो को गहरी नज़र से देखते है तो पता चलता है की बुद्धो में सुधार नाम की रति भर चीज़ नही है जब अन्य देश जो पूरी तरह बुद्धिस्ट है उनमे अश्लीलता ,मासाहार आदि कूट कूट कर भरा है थाईलेंड जेसे बुद्ध विहारों में वेश्यावृति भी होती है जब ये देश बुद्ध के उपेदश से इतने खराब है तो जो लोग भारत में बुद्ध मत चाहते है और हिन्दू मत को कोसते रहते है उसके पुराण आदि से कुछ झूटी कहानिया बता कर मजाक और आलोचना करते है उन्हें इन बुद्धो और उनके देशो को भी देखना चाहिए ...श्रीलंका ,तिब्बत में बुध्सित के बाद भी भेदभाव ,छुआछूत है ,चाइना ,जापान ,थाईलेंड ,भूटान में मासाहार और अश्लीलता है ..तो क्या ये नास्तिकता भारत में भी ऐसा ही सुधार करेगी | राहुल सांस्क्र्तायन अपनी बुद्ध चर्या की भूमिका में जो भारत में वाममार्गी बुद्ध मत का दर्शन कराते है तो उससे पता चलता है की बुद्ध मत अगर और भारत में रहता तो लोगो को अश्लील ,और तरह तरह के अंधविश्वास करने वाला ,बना देता | इसके ऊपर बाद में लेख लिखेंगे |
अभी हम भूटान के एक बुद्धिस्ट मोक के बारे में बताते है जिसका मंदिर ,लिंग आदि भूटान के बुद्धिस्ट पूजते है इससे पता चलेगा यदि हिन्दू मत राष्ट्रीय अन्धविश्वासी है तो बुद्ध मत अंतर्राष्ट्रीय अंधविश्वाशी है |
भूटान के थिम्पू में अधिकतर घरो पर मानव लिंग की आकृतिया बनी है अधिकतर लिंग जो दीवार पर लगाये या बनाये जाते हैं, वे इंसानी लिंग से बड़े होते हैं..
ये लिंग भी विभिन्न आकर, रंग आदि में मिलते हैं.. कोई ड्रैगन के आकार का होता है, तो कोई रिबन से बंधा होता है.. जैसे की कोई तोहफा हो.. कुछ में आँखें भी होती हैं, और सभी सख्त एवं खड़े हुए होते हैं..
इन बने लिंगो को उनकी आकृति को भूटानी लोग अपनी और बुद्ध मत की परम्परा की शान बताते है |
भुतानिक लोगो के अनुसार शहरी करण और आधुनिक करण से उनकी ये कला विलुप्त हो रही है इन लोगो का अंधविशवास है कि इससे (घरो के बाहर लिंग बनाने से ) इनमे सेक्स क्षमता बढती है |
भूटान के लोग लिंग को अपने घरो में इसलिए टांगते हैं जिससे उनका घर, और परिवार के लोग बुरी ताकतों से बचे रहें और मर्दों कि सेक्स क्षमता में भी इजाफा हो।
इस अंधविश्वास की शुरुवात
भूटान के लोगो के अनुसार कुनले (kunley), जो की बौध धर्म में हिपैदा हुआ था, ने अपनी एक अलग शाखा बना ली बौध मत के अन्दर जो कि लिंग कि पूजा किया करते थे और कुनले सब को, खासकर स्त्रियों को, आशीर्वाद दिया करता था उनके साथ सेक्स करके.. कुनले तिब्बत, भूटान आदि देशो में घूम घूमकर स्त्री और कन्याओ का कौमार्य तोड़ता था और सबके साथ सेक्स करता था.. उसकी इसी परवर्ती के कारण लोगो ने उसके सम्मान में उसका एक मंदिर भी बना दिया है.. कुनले ने एक बुरी, मांसभक्षी स्त्री के साथ सेक्स कर उसका गर्भ तेहरा दिया था जिसका मंदिर भी कुनले के साथ ही बनाया गया है.. लोगो के अनुसार कुनले स्त्री प्रेमी था और हमेशा उनका भला चाहता था.. आज भी भूटान के लोग उसके मंदिर में जाते हैं और वहां भिक्षु उनको एक लड़के की लिंग से आशीर्वाद देता है ताकि उनकी सेक्स लाइफ अच्छी चलती रहे...
मित्रो ऊपर पढने पर आपको पता चलेगा की एक बोद्ध ने ही अपने कुकर्मो को अपने मत में एक शाखा बना कर प्रचारित किया ..इससे पता चलता है बुद्ध मत सुधार वादी नही हो सकता | जहा आंबेडकर वादी हिन्दू में कुछ कमी देख हिन्दू ग्रंथो ,महापुरुषों को कोसते है लेकिन कभी बुद्ध के मत में आई कमी को नही देखते है |
इससे हमे पता चलता है कि बुद्धमत भी अनेक भागो में टुटा है इसके मुस्लिम ,इसाई की तरह अनेक फिरके है |
जहा हिन्दू मत आर्य समाज आदि सुधारवादी सिद्धांत की और बढ़ रहा है वही बुद्ध मत लिंगवादी ,वाम्वादी पतन की और जा रहा है |
इन बातो से ये भी स्पष्ट है कि मत परिवर्तन कर या वैदिक धर्म छोड़ अन्य मत में जाने को कोई ये समझता है की उसने भेदभाव ,अंधविश्वास से छुट गया है तो वो गलत है क्यूंकि ये सब और बोधो और बुद्ध देशो में प्रचलित है |
जहा अम्बेडकर वादी हमारे महापुरुषों पर आक्षेप करते है तो उन्हें अपने मत के इन लोगो को भी देखना चाहिय जिसने भूटान और तिब्बत की कई लडकियों के कौमार्य को बहका कर या बुद्ध मत की आड़ में तोड़े ...विष्णु ,इंद्र का विरोध करने वाले बुद्धिस्ट अवश्य ही इन बुधिस्तो का भी अपमान करना चाहिय ,धिक्कारना चाहिय |http://www.globalpost.com/dispatch/asia/101227/penis-travel-bhutan
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https://nastikwadkhandan.blogspot.com/2014/12/blog-post_14.html?m=1
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