बौद्धों द्वारा प्रचारित की गई मिथ्या कथायें!!
वैसे तो बौद्धों में अनेकों बातें कल्पनाओं पर आधारित है। किंतु कुछ बातें ऐसी है जो कि बौद्धों ने अपने मत को सर्वश्रेष्ठ और प्रभावशाली दर्शाने के लिए कल्पना कर ली हैं। यहां हम कुछ ऐसी ही फर्जी कहानियों को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं, जो कि बौद्धों ने बनाई थी। इन कहानियों में सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि इनमें यदि कोई व्यक्ति दूसरे मत का अथवा बुद्ध का विरोधी था तो उसे चरित्रहीन, मिथ्या दृष्टि वाला दर्शाया है। इसी के साथ - साथ देश के महान व चक्रवर्ती सम्राटों को ऐसे दर्शाया है कि वह बुद्ध के सम्पर्क में आने से पहले बहुत ही ज्यादा चरित्रहीन, निर्दयी और अज्ञानी थे। किंतु बुद्ध के सम्पर्क में आने के बाद वे सब सम्राट अरहंत, संयमी और दयालु बन गये। ऐसी - ऐसी फर्जी कहानियां बौद्धों ने अपने मत की श्रेष्ठता दर्शाने के लिए बनाई थी।
1) सम्राट अशोक को 99 भाईयों का हथियारा दर्शाना -
महावंस जैसे बौद्ध ग्रंथ में सम्राट अशोक को 99 भाईयों का हथियारा बताया गया है। उनके बौद्ध होने से पूर्व के जीवनचरित्र को बौद्धो ने एक हथियारे और निर्दयी सम्राट के रुप में प्रस्तुत किया था तथा बौद्ध होने के बाद के जीवनचरित्र को न्यायकारी, मैत्री - मुदिता जैसी भावना से ओतप्रोत प्रस्तुत किया था। महावंस मे लिखा है -
- महावंस, पञ्चम परिच्छेद 20
अर्थात् अशोक ने अपने 99 भाईयों की हत्या करके सकल जम्बूद्वीप का शासन ग्रहण किया।
जबकि सम्राट अशोक के अभिलेखों में इससे विपरीत बातें देखने को मिलती है। न तो उनके इतने भाई थे और न ही उन्होंने अपने किसी भाई की हत्या की थी।
2) सम्राट बिम्बिसार को चरित्रहीन दर्शाना -
सम्राट बिम्बिसार के बुद्ध समागम पूर्व के जीवनचरित्र को बौद्धों ने एक अय्याश शासक की तरह दर्शाया है। जैसे सम्राट बिम्बिसार को वैश्याबाजी का शौक़ था -
- चीबरवस्तु, मूूूूूूूलसर्वास्तिवादविनयवस्तु भाग - १, पृष्ठ क्रं. 181
इन पंक्तियों का सार यह है -
- चीबरवस्तु, मूूूूूूूलसर्वास्तिवादविनयवस्तु भाग - १, पृष्ठ क्रं. 183
इसका सारांश इस प्रकार है -
- मूूूूूूूलसर्वास्तिवादविनयवस्तु का सारांश, मूूूूूूूलसर्वास्तिवादविनयवस्तु भाग - 1, पृष्ठ संख्या 32 - 33
यहां दर्शाया है कि बिम्बिसार एक सेठ की पत्नि पर आसक्त हो गये थे। उन्होने उसके साथ रमण किया और उसे गर्भवती कर दिया।
इस प्रकार बौद्धों ने बिम्बिसार का बौद्ध होने से पूर्व, अत्यंत ही घृणित चरित्र चित्रण किया था लेकिन बौद्ध होने के बाद उन्हें धर्मात्मा बना दिया।
3) देवदत्त का गौतम बुद्ध की पत्नि पर बूरी नजर रखना -
देवदत्त जीवनभर बुद्ध के प्रतिद्वंद्वी रहे थे। उनके भी चरित्र पर बौद्धों ने मनमाने कल्पित आक्षेप लगाये थे। हम यहां उन कथाओं का फर्जीवाड़ा भी सप्रमाण प्रस्तुत करेगें -
- संघभेदवस्तु, मूूूूूूूलसर्वास्तिवादविनयवस्तु भाग - 2, पृ. 191
इसका सारांश इस प्रकार है -
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