बौद्ध ग्रंथों में एक साथ 60,000 स्त्रियों के साथ रती सुख की घटना।


 बौद्ध ग्रंथ दिव्यवदानम् ने बौद्धिसत्व शुद्धोदन के विषय में वो बात कही है कि इसका प्रमाण देने पर, जो खीर ज्ञानी श्री कृष्ण जी पर, राजा दशरथ पर अनेकों स्त्रियों के व्यभिचार का दोष लगाते हैं, वे चुप हो जायेगें। 


इसमें लिखा है कि बौद्धिसत्व (राजा शुद्धोदन) ने इस प्रदेश में सौ हजार देवताओं से घिरे हुए 60000 स्त्रियों के साथ रति सुख का आंनद लिया। रति सुख का अर्थ गूगल कर ले। 


मतलब समझ सकते है , सामूहिक रति आंनद वह 60 हजार स्त्रियों के साथ सौ हजार देवताओ के बीच। 


 - कुणालावदानम् 27, दिव्यवदानम्। 


पुष्यमित्र पर इसी ग्रंथ के कारण नवबौद्ध  स्तूप विध्वंसक का आक्षेप लगाते हैं। मतलब जिनके दादा खुद ठरकपन में सबसे आगे थे वो श्री कृष्ण पर आक्षेप करते है।



Popular posts from this blog

सम्भोग जिहाद !

Adam married his own daughter......Then why do their children stick their legs on the marriage of Brahma Saraswati?

Archaeological evidence of Sanskrit language before 1500 BC.