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Showing posts from July, 2021

इस्लाम के उदय के कारण हुआ ईरान से बौद्ध धर्म का नाश

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दूसरी शताब्दी में बौद्ध मत ईरान में फैल चुका था, अब ईरान में 224 AD में सस्सनिद साम्राज्य आ चुका था जिन्होंने पारसी मत को अपने साम्राज्य का राष्ट्रीय मत घोषित कर दिया था जिसकी वजह से उन्होंने बौद्धों के कई सारे धर्म स्थलों का नाश कर दिया परंतु फिर भी पूर्व में कई सारे धर्म स्थल बज गए थे जो बाद में पांचवीं सदी में हूणों द्वारा नष्ट किए गए [ Source 1] अब इसके कई सालों बाद ईरान पर अरब के मुसलमानों का कब्जा हो गया जिसके बाद ईरान से बौद्ध मत कर संपूर्ण नाश हो गया । अरब के मुसलमानों ने बौद्ध मत को अफगानिस्तान और ईरान से समाप्त कर दिया हालांकि कुछ जगहों पर बौद्ध मत आठवीं नौवीं सदी तक बज गया था । [ Source 1 ] ईरान के राजा हुलगु खान ने बौद्ध मत अपना लिया और हुलगु खान के काल से 1295AD तक राष्ट्रीय धर्म बौद्ध मत रहा परंतु 1295 में मंगोल के राजा महमूद ग़ज़ान जिन्होंने बचपन में बौद्ध मत की शिक्षा ली थी परंतु बाद में इस्लाम अपना लिया था उन्होंने ईरान में बौद्ध मत पर रोक लगा दी, बौद्धों की मूर्तियां और मंदिरों का सर्वनाश कर दिया और उन्हें ईरान से बाहर किसी बौद्ध देश में जाने को कहा, इस तरह ईरान से बौ

इस्लाम के कारण हुआ बौद्ध धर्म का पतन: डॉ बी आर अम्बेडकर

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 भारत में बौद्ध धर्म का नाश कैसे हुआ इस पर बाबा साहब अंबेडकर अपनी पुस्तक में कहते हैं - इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत से बौद्ध धर्म के विलुप्त होने का कारण मुसलमानों का आक्रमण है, इस्लाम बुत के शत्रु के रूप में आया था, सब जानते हैं कि बुत एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है मूर्ति परंतु ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि बुत शब्द कि उत्पत्ति कैसे हुई है, बुत शब्द की उत्पत्ति बुद्ध शब्द के अरबी अपभ्रंश से हुई है, अर्थात शब्द की उत्पत्ति ही यह सिद्ध करती हैं कि मुसलमानों के दिमाग में बुत परस्ती का संबंध बुद्ध के धर्म से है । तो मूर्तियों को तोड़ने का कार्य बन गया बौद्ध धर्म के विध्वंस का कार्य । इस्लाम ने केवल भारत में ही नहीं अपितु जहां-जहां वह गया वहां-वहां बौद्ध धर्म का सर्वनाश कर दिया, जब इस्लाम का अस्तित्व नहीं था तब Bactria, Parthia, अफगानिस्तान गांधार, चाइना का तुर्कमेनिस्तान अर्थात पूरे एशिया में बौद्ध धर्म अस्तित्व में था, इन सभी देशों में इस्लाम ने बौद्ध धर्म का विध्वंस किया.... संदर्वित ग्रंथ एवं पुस्तक: Dr Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Volume 3 page 229 & 230

#बुद्धिज्म के इतिहास का मुआयना 👇

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 एक तथाकथित स्तूप जो जांच करने पर कार्तिकेय मंदिर निकला भारतीय प्राचीन इतिहास के साथ इतिहासकारों ने यह दुर्व्यवहार किया है कि उन्होंने हर चक्र जैसी आकृति को धम्म चक्क, गुंबदाकार आकृति को स्तूप और वृक्ष को बोधिवृक्ष तथा ध्यानपूर्वक बैठे व्यक्ति को बुद्ध घोषित कर दिया॥ बिना किसी जांच परख के ये लोग हिंदू संस्कृति और मंदिर परम्पराओं को नवीनतम दिखलाने लगे। ऐसा ही ईसापूर्व प्राचीन त्रकार्ता गण के प्राचीन सिक्कों के साथ हुआ। इन पर त्रिमंजिला गुम्बदाकार आकृति थी। जिसे पी एल गुप्त ने स्तूप बताया किंतु ब्रिटिश संग्रहालय में रखे इन सिक्कों को जांचा गया तो, इनमें तथाकथित स्तूप के समक्ष एक पक्षी की आकृति दिखाई दी। ये पक्षी मुर्गा था जो कि कार्तिकेय का एक प्रतीक माना जाता है। इसे कुक्कुट ध्वज के रुप में देखा जा सकता है। अतः तथाकथित स्तूप वास्तव में एक बहुमंजिला प्राचीन कार्तिकेय मंदिर था। इस बात में यह भी प्रमाण है कि भारत के अधिकांश प्राचीन गण शैव और वैष्णव ही रहे हैं, उनके सिक्कों पर बुद्ध के स्थान पर कार्तिकेय, शिव, कृष्ण, बलराम, लक्ष्मी, पार्वती व यज्ञयूप ही मिलती हैं। ये सिक्के 200 ईसापूर्व से

नास्तिक नर्क गामी है - गौतम बुद्ध

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बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि नास्तिकों के लिए भी भगवान गौतम बुद्ध की तरफ से नरक का टिकट कटा हुवा है 😂🤣😂  मतलब जो नवबौद्ध सोशल मीडिया पर भगवान गौतम बुद्ध को नास्तिक बता बात कर अपनी रोजी रोटी के जुगाड़ में लगे है और स्पेशल ब्राह्मणों को गाली भी देते है ... उनका मर कर नरक जाना तय है ... और यह मैं नही यह स्वयं भगवान बुद्ध ने कहा है ...  बौधों के एक मात्र सर्वमान्य ग्रन्थ त्रिपिटक के संयुक्त निकाय के अंतर्गत कोसल संयुक्त में तृतीय वर्ग पुग्गल सुत्त अनुसार  भगवान गौतम बुद्ध राजा प्रसेनजित से कहते है महाराज जो कोई दरिद्र पुरुष , श्रद्धारहित , कंजूस, मक्खीचूस , पाप संकल्पों वाला झूठे मत मानने वाला पुण्य कर्मों में आदर रहित होता है , श्रमण ब्राह्मण अथवा दूसरे याचको को डॉटता और गालियां देता है । क्रोधी नास्तिक होता है , मांगने वालों को भोजन देने से रोकता है , इस प्रकार का पुरुष तमो तम परायण है ( नीच से नीच गति वाला ) वह यहां से मर कर घोर नरक में जा गिरता है ! 🤣🤣😂  तो यह है नास्तिको के प्रति भगवान गौतम बुद्ध के विचार और नास्तिक कहते है कि बुद्ध नास्तिक थे 🤔🤔  अब अगर मान ले बुद्ध नास्