कुरान के राक्षसी रिवाज :शैतानी शरीयत !!

 मुसलमान भारत को दारुल हरब यानी काफिरों का देश कहते हैं .इसीलिए उन्होंने देश का विभाजन करवा कर पाकिस्तान बनवा लिया था .आज पकिस्तान उनके लिए आदर्श इस्लामी देश है .क्योंकि वहां पर शरीयत का कानून चलता है ,जो कुरआन और हदीसों के अनुसार बताया जाता है .


लेकिन कुरआन और हदीसों में परस्पर विरोधी ,तर्कहीन ,और महिला विरोधी आदेशों की भरमार है .मुसलमान इतने मक्कार हैं की उन आदेशों में जो उनके लिए लाभकारी होता है ,उसे स्वीकार कर लेते हैं .और जो महिलाओं के पक्ष में होता है उसे गलत कहते हैं .पकिस्तान में सन 1979 में शरीयत का कानून लागू कर दिया गया था जिसे हुदूद मसौदा “Hudud Ordinence “कहा जाता है .


लेकिन पाकिस्तान के कई प्रान्तों जैसे सिंध ,बलूचिस्तान ,पजाब के कुछ भागों और सूबाए सरहद के आलावा अन्य क्षेत्रों में कबाइली कानून और रिवाज चलते हैं .इनमे सारे फैसले वहां की “जिरगा “या पंचायत ही कराती है .यह जिरगा मौत की सजा भी दे सकती है .और अक्सर जिरगा के फैसले बेतुके ,अमानवीय और महिला विरोधी होते हैं .लेकिन हदीसों के हवाले देकर इन फैसलों का कोई विरोध नहीं होता .इसके इन्हीं जंगली हदीसों के कारण वहां पर कई राक्षसी रिवाज भी प्रचलित हो गए है जिन्हें बलपूर्वक मनवाया जाता है .और कहा जाता है कि यह रसूल कि सुन्नत है .यानि रसूल भी यही करते थे ,अथवा यह रिवाज हदीसों और कुरान के अनुसार सही है .


यहाँ कुछ रिवाजों के नाम ,और और कुरान और हदीसों से उनका आधार बताया जा रहा है ,कि इन रिवाजों के पीछे कौन सी आयत या हदीस है .पता चला है कि देखादेखी यह राक्षसी रिवाज भारत के मुसलामानों में फ़ैल रहे हैं .और लोग इन्हें शरियत मान रहे है .


1 -सट्टा वट्टा. سٹّہ وٹّہ Satta Watta


इसका मतलब है “पत्नी विनिमय “या Barter Marriage “अक्सर मुसलमान आपस में ही लड़ते रहते हैं .और कई बार मामला गंभीर होजाने से जिरगा या पंचायत के पास चला जाता है .जब झगड़ा किसीभी तरह से नहीं सुलझाता है तो ,जिरगा ऐसे दौनों पक्षों के परिवार जिनके लडके और लड़कियां हों ,आपस में शादियाँ करा देता है .यानी किसी एक परिवार के लडके की दूसरे परिवार की लड़की से शादी करा दी जाती है .और विवाद का निपटारा हो जाता है .जादातर लोग यह फैसला मान लेते हैं .लेकिन यदि कोई परिवार नहीं मानता है तो ,जिरगा बच्चों की जबरदस्ती शादी करा देता है .यह रिवाज सिंध ,बलूचिस्तान ,पंजाब और सीमांत प्रान्त में प्रचलित है .इसका आधार यह हदीस है –


“अबू हुरैरा ने कहा कि,इब्ने नुमैर ने एक बार रसूल से पूछा कि ,मैं ने अपने पडौसी से कहा कि ,यदि वह अपनी लड़की का हाथ मेरे हाथों में दे देगा तो ,मैं अपनी बहिन की शादी उसके साथ कर दूँगा .क्या ऐसा करना उचित होगा .रसूल ने कहा इसमे कोई बुराई नहीं है ,बल्कि इस से एक मुसलमान दूसरे मुसलमान से जुड़ जाता है .और मनमुटाव ख़त्म होता है.सहीह मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3299 .


2 -कारोकारी . کاروکاریKaroKari


इज्जत के लिए ह्त्या Honour Killing .चूँकि इस्लाम में औरतों को परदे रखने का हुक्म है ,और यदि लड़कियाँ किसी लडके से बात भी करती हैं ,तो इसे बेशर्मी और गुनाह माना जाता है .और औरतों को घर में ही कैद रखा जाता है .इसका आधार यह हदीसें है .-


“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि औरतें ,गधा ,और कुत्ते लोगों का ईमान बिगड़ देते हैं ,इसलिए इनको एक जगह बांध कर रखना जरूरी है .यह बाहर जाकर ख़राब हो जाते हैं “.सही मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1034


“अब्दुला इब्ने अब्बास ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कुत्ता ,गधा ,यहूदी ,पारसी (मजूसी )और लड़कियां इमानबिगड़ देते हैं ,इनको बाहर नहीं रहने देना चाहिए “.अबू दाऊद-किताब 2 हदीस 704




अब यदि कोई लड़का या लड़की आपस में प्रेम करने लगते हैं ,या शादी करना चाहते हैं ,तो इसे बदचलनी और इस्लाम के विरुद्ध माना जाता है .और लोग उस परिवार का अपमान करते है .या समाज से निकाल देते है .दोनो परिवार अपनी बदनामी से बचने के लिए उस प्रेमी जोड़े कीहत्या कर देते है .दुःख की बात यह है कि यह हत्याएं उन बच्चों के बाप ,बड़े भाई ,या सम्बन्धी ही करते है .और इस बात को छुपा देते हैं .भारत में भी यह कुरीति आ गयी है .यहाँ सगोत्र ,या अन्य जाती में शादी करने पर हत्या कर दी जाती है .लेकिन मुसलमानों में गोत्र का या जाती का सवाल ही नहीं है .वहां केवल इन हदीसों के कारण ही हत्या करते हैं .सन 2004 में सिंध में 2700 और पंजाब में 2005 में 1300 लड़कों और 3451 लड़कियों की हत्या कर दी गई थी .इस का सारा पाप मुहमद पर पड़ेगा .


यहाँ भी इस कुरीति का विरोध होना चाहिए .यह महा पाप है .


3 -पेटलिखी .پیٹ لکهی Pait Likkhi .


इसका अर्थ है कि बच्चों के जन्म से पूर्व ही उनकी शादी तय कर देना .Arrangin Marriages in the Womb .अक्सर कई मुस्लिम परिवार एक साथ रहते हैं .और एक ही मकान में रहते है .मुसलमानों में चचेरे ,ममेरे भाइयों और बहिनों में शादी हो जाती है .जब किन्हीं भाइयों की औरतें एक ही समय गर्भवती हो जाती है ,तो घर के बुजुर्ग बच्चों के पेट में होते ही आपस में तय कर लेते है की ,अगर अमुक के घर लड़का होगा ,और अमुक के घर लड़की होगी तो ,उनकी आपस में शादियाँ करा देंगे .यह बात काजी के सामने लिखी जाती है .और दौनों तरफ के लोगों के सही कराये जाते है .बाद में यदि कोई इस बात से मुतारता है ,तो उस पर जिरगा जुरमाना लगा देती है .चूंकि यह अनुबंध पेट के बच्चों के लिए होता है ,उस पर बाल विवाह का कानून नहीं लगता ..इसका अधार यह आयतें और हदीसें है –


“अल्लाह माता के पेट में ही जोड़े बना देता है “सूरा-अज जुमुर 39 :4 -6


“हमने हरेक के शकुन अपशकुन को गले में बांध दिया है “सूरा -बनी इस्राएल 17 :13


“गर्भ में क्या है अल्लाह यह जानता है ,”सूरा -हूद 11 :5 .


4 -अड्डोवद्ड़ो. اڈّووڈّو Addo Vaddo


जिन परिवारों में किसी न किसी बात पर विवाद या झगड़े चलते रहते हैं ,वे आपसी झगडा निपटने के लिए एक दुसरे के बच्चों की शादी करा देते हैं .यह एक प्रकार का Child Marriage है .यह रिवाज सिंध पंजाब और बलूचिस्तान में प्रचलित है.इसका आधार यह हदीस है –


“आयशा ने कहा कि जब मैं 6 साल कि थी ,मेरे माँ बाप में मेरी शादी रसूल के साथ कर दी थी और जब मैं 9 साल की हुई तो रसूल ने मेरे साथ सम्भोग किया था “बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 64


इसी हदीस की आड़ लेकर 21 मई 2010 को एक 25 साल के युवक ने एक 6 साल की बच्ची से शादी की थी .और शरई कानून ने उसे जायज बताया था .आज भी पाकिस्तान में छोटी छोटी बच्चियों की शादियाँ होती है ,जिस से कई बच्चियां मर जाती है ,


5 -विन्नी . وِنّی Vinni


यह पश्तो शब्द है . वैसे तो इसका अर्थ है क्षतिपूर्ति या बदला है ,लेकिन किसी की शारीरिक हनी ,या हत्या के बदले में अपराधी से औरतें ली जाती है “Women as Compesation “यह प्रथा सीमांत प्रान्त ,बलूचिस्तान ,और स्वात में अधिक है .इसे उर्दू में दिय्यत دِیَّت Diyyat कहा जाता है .इसके बारे में कुरानऔर हदीसों में यह लिखा है-


“यदि कोई ईमान वाला भूल से या जानबूझकर किसी ईमान वाले ला वध कर दे ,तो मारे गए व्यक्ति के परिवार को एक आदमी सौंपना होगा .और खून के बदले धन भी देना होगा “सूरा -अन निसा 4 :92


“एक पुरुष के बराबर दो स्त्रियाँ होंगीं “सूरा-निसा -4 :11




.6 -सवरा. سوَرا Swara


इसका अर्थ है शारीरिक क्षति की भरपाई BloodFeud .यदि कोई किसी व्यक्ति के शरीर स्थायी को नुकसान करता है तो ,उसले बदले जो लिया जाता है उसे सवरा कहा जाता है .यह रिवाज भी कई स्थानों में है .कुरान में लिखा है-


“हे ईमान वालो ,बदला लेने में बराबरी होना जरूरी ठहरा दिया गया है ,आजाद का बदला आजाद ,गुलाम का बदला गुलाम ,स्त्री का बदला स्त्री .फिर यदि स्त्री के भाई की तरफ से कोई दिया जाये तो उसे उत्तम रीति से निपटा देना चाहिए .बदला लेना ही बुद्धिमानों का जीवन है ”


सूरा -बकरा 2 :178 और 179


“हमने तुम्हें हुक्म दिया है कि जान के बदले जान ,आँख के बदले आंख ,कण के बदले कान ,नाक के बदले नाक ,दांत के बदले दांत और हरेक घाव के बदले घाव है ”


सूरा -मायादा 5 :45 .


इन आयातों के अनुसार यदि कोई बदले में बहुत अधिक धन नहीं दे पाताहै तो ,लोग दिय्यत में उसकी लड़की या बहिन को लेने के हकदार होते हैं ,या जिरगा जबरदस्ती शादी करा देती है .आज भी पाकितान की अदालतों में ऐसे हजारों मामले पड़े हैं .क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी ऐसे मामले उठती रहती है .लेकिन शरियत के आगे कुछ नहीं कर पाती है.


7 -वुलवार.وُلوار Vulvar


महिला खतना Female Genital Mutilation ,इसके बारे में पिछले लेखों में विस्तार से दिया गया है .इसमे चार से पांच साल की बच्चियों की योनी की भगनासा (Clitoris )और उसके आसपास के भगोष्ठ को छील दिया जाता है .कई बार इस से बच्चियों की मौत भी हो जाती है .


सब जानते हैं कि मुसलमान हफ़्तों तक नहीं नहाते .वह इसे रसूल कि सुन्नत मानते हैं .मुसलमान नहाने से बचने के लिए बच्चियों कि खतना करा देते हैं .हदीस में कहा है कि


“यदि कोई खतना वाले पुरुष का अंग (लिंग )किसी बिना खतना वाली स्त्री के अंग (योनी )में प्रवेश करता है ,तो उस पुरुष को गुस्ल(स्नान )करना जरुरी है “सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 684 .


इसलिए मुसलमान बार बार नहाने से बचने के लिए लड़कियों कि खतना करा देते है .फिर मुहम्मद ने भी कहा था कि –


“उम्मे आत्तिय्या अन्सारिया ने कहा कि ,मदीना में एक औरत एक बच्ची की खतना कर रही थी .रसूल वहां गए और उस औरत से कहा कि इस बच्ची कि योनी को इतनी गहरायी से मत छीलना जिस से योनी कुरूप हो जाये ,और इस बच्ची के पति को पसंद न आये ”


अबू दाऊद-किताब 42 हदीस 5251


8 -औरतोंकी गवाही


अल्लाह और मुहमद औरतों को आधा प्राणी (Half Human )मानते थे .मुहम्मद की कई कई औरतें थी .और अल्लाह कुंवारा है .इसलिए यह औरतोंकी कद्र नहीं करते .इस्लामी कानून में औरतों की आधी कीमत है –


“औरतों की दिय्या(मौत की कीमत )मर्दों से आधी होगी” .सूरा -निसा 4 :92


“एक मर्द गवाह के विरुद्ध प्रमाण देने के लिए दो औरतों की गवाही लाना पड़ेगा .यदि दस मर्द हों तो उनके विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए 21 औरतों की गवाही जरूरी है “बुखारी -जिल्द 1 किताब 6 हदीस 301


“दो औरतों की गवाही एक मर्द के बराबर मानी जायेगी “सूरा -बकरा 2 :282


यही कारण है कि अरब ,ईरान या पाकिस्तान में यदि किसी औरत पर बलात्कार होता है ,तो वह पूरे गवाह पेश नहीं कर पाती है .फिर शरई अदालतें उन पर व्यभिचार का आरोप लगा कर पत्थर मार कर मौत की सजा दे देती हैं ऐसे कई मामले अक्सर आते रहते हैं .


तात्पर्य यह है इस्लाम कुरान ,और मुहम्मद केवल गैर मुस्लिमों के लिए अभिशाप नहीं है ,बल्कि खुद मुस्लिम औरतो के लिए लानत है .इस्लामी कानून मुस्लिम औरतो की आजादी लिए बाधक है .और कुरआन और हदीसें सारी कुरीतियों की जननी हैं .


छोड़ दो ऐसा जंगली इस्लाम ,और फेक दो बेतुकी कुरआन और हदीसें !

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