बुद्ध द्वारा श्री लंका के गैर बौद्ध मूलनिवासियों का भगाने की घटना और बौद्धों की गप्पे। Infidels in Buddhism

 जब भी बौद्ध मत के पाखण्डों पर चर्चा की जाती है , तो नवबौधों का प्रायः एक बचाव पक्ष यह रहता है , मूल पाली भाषा मे दिखाओ की कहा लिखा है , हमारे ग्रन्थों में पाखण्ड एव चमत्कार या अवैज्ञनिक बात है। 


तो आज से इस कड़ी में हम प्रायः एक या दो दिन में बौद्ध पाली साहित्यों से नवबौधों के पाखण्ड चमत्कार और अवैज्ञनिक बातें खोज कर दिखाएंगे।


तो आज हम जो पाखण्ड और चमत्कार बौद्ध ग्रंथों से दिखाने वाले है उसमें हमने श्री लंका का इतिहास ग्रन्थ दीपवश लिया है। दीपवंश श्रीलंका के प्राचीन इतिहास का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ चतुर्थ अथवा पंचम शताब्दी ईसवी में लिखा गया था और इसकी भाषा पाली है। और अभी हाल ही में फट्टू जर्नी ने इसी पुस्तक में एक महादेव नाम के भिक्षु को केंद्र में रखते हुवे यह दावा किया कि हिन्दुओ के महादेव असल में यही बौद्ध भिक्षु है , शिव काल्पनिक है। 


तो इस आरोप का खण्ड़न हम इसके अगले लेख में करेगे। 


आज इस ग्रंथ में आप को दिखाएंगे की किस प्रकार इन्होंने अपने पाली ग्रंथो में एक से बढ़ कर एक गप्प घुसेड रखे है। 


दीपवश के प्रथम परिच्छेद में ही यक्ष दमन वर्णन आता है। इसी परिच्छेद में बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध मार की सेना से ध्यान अवस्था मे युद्ध लड़ते है। और मार से जीत जाते है। उसके बाद सुरु होता है बुद्ध का पीपल के नीचे बैठे बैठे बुद्ध ज्ञान से डारेक्ट श्री लंका का हाल देखने का चमत्कार ,, 



यहां ध्यान देना होगा हिन्दू के देवी देवता दिव्य ज्ञान या दिव्य दृष्टि से एक स्थान से अगर दूसरे स्थान का विवरण देख या जान लेते थे तो वह पाखण्ड और अवैज्ञनिक बात थी। मगर बुद्ध , बुद्ध ज्ञान से भारत मे बैठे बैठे श्री लंका का पूरा हाल देख रहे है। यह विज्ञान स्वयं नासा वालो ने प्रमाणित किया है। 🤣


( नीचे स्क्रीन शॉट संलग्न है मूल पाली और हिंदी अनुवाद दोनो पाठक पढ़ सकते है। )


ईतना ही नही ... इसी अध्याय में बुद्ध का मानवता वादी उदारवादी कल्याणकारी चरित्र भी बेनक़ाब हो जाता है। 


जब आप यह पढेंगे की बुद्ध ने , बुद्ध ज्ञान से जब श्री लंका की वस्तु स्थिति को देखा ... 

तो उन्हें पता चला कि श्री लंका में राक्षस यक्ष का बोल बाला है जो बुद्ध धर्म को नही मानते ..  


तो जैसा कि भारत मे फर्जी कथा प्रचलित है कि बुद्ध अंगुलिमाल को दो टूक कह के समझा देते थे , पागल हाथी को स्पर्श कर के शांत कर देते थे वही बुद्ध अब श्री लंका में बुद्ध धम्म न् मानने वाले वहां के मूलनिवासी राक्षसो और यक्षों को बल पूर्वक वहां से निकाल कर बहार करने का निश्चय करते हुवे देखे जा सकते है। 


यहां बुद्ध सोच रहे है कि बुद्ध धम्म फैलाने में अवरोध उतपन्न करने वाले यक्ष ओर राक्षस , जो कि श्री लंका के मूल निवासी थे उनको वहां से निकाल कर अपने बुद्ध धम्म मानने वाले मनुष्यो को बसाउंगा। 


ध्यान दीजिए भारत मे दिन पर आर्य आक्रमण का नंगा नाच नाचने वाले और मूलनिवासी बनने वाले नवबौधों के महापुरुष बुद्ध के ये विचार है कि, श्री लंका के मूलनिवासियों पर बल पूर्वक हमला कर के उन्हें वहां से भगा कर इनके बुद्ध धर्म को मानने वाले लोगो को वहां बसना है। 


इसके बाप ददे खुद दुसरो के देश मे हमला कर के उन्हें बर्बाद करने और भगाने की रणनीति बुद्ध ज्ञान से भारत मे बैठे वैठे ही बना लेते थे ..  


मगर जालिम तो सिर्फ आर्य थे यूरेशिया से आ कर इनके बुद्धिस्थान को हिन्दुस्थान बना दिया 🤣🤣😂 


खैर आगे पढ़िए ... बुद्ध के श्री लंका के मुलनिवासियो के बारे में विचार क्या थे ? 


बुद्ध ज्ञान से डारेक्ट श्री लंका से अपना वाई फाई जोडते हुवे अपने सर पर लगे घुघराले सिंग्नल से सम्पर्क साध , बुद्ध यह भी देखते और सोचते है कि अगर श्री लंका के इन दुष्ट पापी लोगो को जीवन पर्यंत श्री लंका में छोड़ दिया, तो मेरे धर्म का विस्तर नही हो पायेगा । तो अपने धर्म का विस्तर चाहने वाले तथागत गौतम बुद्ध , जिन्हें मानवता और उदारता एव अहिंसा का प्रचारक कहा जाता है, वह बल पूर्वक श्री लंका के वास्तविक लोगो को खदेडने का मन कैसे बना रहे है। 


फिर बुद्ध बैठे बैठे ही बुद्ध ज्ञान के वाई फाई से अब अपने बाद होने वाली घटना का भी वर्णन कर रहे है कि - 


मैं कब निर्वाण प्राप्त करूँगा , कब प्रथम बौद्ध संगीति होगी, कब दूसरी संगीति होगी और कब बुद्ध धर्म को दुनिया मे फैलाने वाला राजा अशोक होगा फिर उसका बेटा महेंद्र होगा जो श्री लंका में आ कर इनके बुद्ध धर्म का विस्तर करेगा। 


तो यह सब कुछ बुद्ध अपने ज्ञान प्राप्ति के बाद डायरेक्ट वाई फाई सिंग्नल से ,, बुद्ध ज्ञान द्वारा कनेक्शन जोड़ते हुवे पूरी प्लानिंग बना लेते है। कि कब श्री लंका पर कब्जा करना है , कैसे बुद्ध धम्म न् मानने वाले श्री लंका के मूलनिवासियों को खदेड़ना है बल पूर्वक और कैसे वहां पर दूसरी जगह से बुद्ध धम्म मानने वाले लोगो को लेकर बसाना है और वह द्वीप कब्जा करना है। 



तो पाठकों इस प्रकरण से बहुत सारे सवाल उठ खड़े होते है .. पहला की वह बुद्ध ज्ञान वाला वाई फाई सिंग्नल काम कैसे करता था ... जिससे बुद्ध भारत मे बैठे बैठे डारेक्ट श्री लंका का हाल जान लेते थे और पूरी प्लानिंग बना लेते थे। 


उससे भी बड़ी बात बुद्ध को भविष्य किस बुद्ध ज्ञान से दिख रहा था ,, आज तो बुद्ध से बड़े बड़े बैज्ञानिक और वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट हो चुके है , फिर भी हमारा विज्ञान भविष्य नही जान सकता , कोई वैज्ञनिक पालथी मार पर पीपल के नीचे बैठे बैठे सुदूर कही किसी दूसरे देश के लोगो को नही जान सकता न देख सकता। 


फिर भगवान गोतम बुद्ध के पास कौन सी निन्जा तकनीक थी भाई .. नवबौधों जरा हमे भी बताओ ....🤣🤣😂 


अपने पाली ग्रंथो का यह विज्ञान या तो लोगो के सामने प्रमाणित करो या स्वीकार करो कि आप का मत पाखण्ड झूठ अंधविस्वास और लोगो की अज्ञानता पर टिका है। 


और अपने पाखण्डों और अन्धविश्वसो से बचने के लिए आप लोग दूसरों पर कीचड़ उछालते हो ।।। 



दर्शको .. लेख तार्किक लगे तो नवबौधों के सामने यह सवाल जरूर रखे .... की इस बुद्ध ज्ञान वाले सिंग्नल की तकनीक क्या थी ? 


😊🙏🙏






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