उत्खनन में प्राप्त यज्ञ वेदियां।
भारत में यज्ञ करने की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है तथा बुद्ध से पूर्व ,पश्चात् और समान काल तक रही है। भारत में सदा रहने वाली इस यज्ञ परम्परा की प्राचीनता के प्रमाण खुदाई से भी सिद्ध हो रहे हैं। यहां उत्खनन से प्राप्त कुछ यज्ञ वेदियों के प्रमाण दिये जा रहे हैं -
1) लोथल से प्राप्त यज्ञवेदी -
लोथल एक प्राचीन हडप्पा सभ्यता का नगर है।
यहां से क ई ऐसे पात्र भी मिले हैं जिनका उल्लेख ब्राह्मण ग्रंथों और वैदिक आयुर्वेद ग्रंथों में है।
2) कालीबंगा से प्राप्त यज्ञ वेदी -
क ई नवभौंदू और काम पथीं ये छल करते हैं कि वे यज्ञवेदी को भोजन पकाने की भट्टी या जलकुंड कहते हैं। किंतु इतना छोटा आकार जल कुंड का नही हो सकता है और भोजन भट्टी का खंडन ये कालीबंगा की यज्ञवेदी कर देती है क्योंकि भोजन भट्टी या चूल्हा इस तरह ईंटों से चौकोर और सीढीनुमा नहीं बनाया जाता है। साथ ही इसमें पशु अस्थियां मिली है जो कि पशुयाग या हिंसक यज्ञ की ओर ईशारा करती है। कोई भी व्यक्ति खाने की भट्टी या चूल्हे में हड्डी नही छोडेगा। ऐसा तभी है जब इसका कोई विशेष यज्ञानुष्ठान में प्रयोग किया होगा जैसे श्रौतयाग में।
3) राखीगढ़ी से प्राप्त यज्ञवेदी -
उत्खनन की इस पत्रिका में राखीगढ़ी में भी अग्निवेदी का उल्लेख है।
4) एरण की ताम्र पाषाण संस्कृति में यज्ञवेदी -
ऐरण की संस्कृति में अग्निवेदी और चूल्हे पृथक पृथक चित्र में देखे जा सकते हैं। यहां चूल्हे से पृथक अग्निवेदी धार्मिक अनुष्ठान को ही दर्शाती है।
5) बनावली से प्राप्त यज्ञवेदी -
यहां जो यज्ञवेदी प्राप्त हुई है वो एक मेहराबदार मंदिर रचना है। अर्थात् हडप्पा कालीन इस स्थल पर अग्निहोत्र मंदिर था।
6) मल्हार उत्खनन से प्राप्त यज्ञवेदी -
मल्हार से प्राप्त लगभग 200 - 100 ईसापूर्व की ये यज्ञवेदी मौर्य- शुंग- सातवाहन काल में यज्ञ परम्परा का प्रबल प्रमाण रखती है। ये वेदी अपने समय में अत्यन्त ही सुंदर रही होगी।
7) राजस्थान के तरखान वाला डेरा से प्राप्त अग्निवेदी -
ये यज्ञवेदियां हडप्पा कालीन लगभग 1500 ईसापूर्व की मानी गयी हैं।
संदर्भित ग्रंथ एवं पुस्तकें -
1) A review of archaeology survey of india 1997 - 98
2) Acient cities of Indus
3) A review of archaeology survey of india 2010 - 011
4) ऐरण की ताम्र पाषाणकालीन संस्कृति : एक अध्ययन - विश्वविद्यालय शोध प्रबंध
5) A review of archaeology survey of india 1986 - 87
6) Excavation at tarkhanewala - dera and chak86
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