जिहाद का कार्य रूप में स्वरूप
भारत पर राज्य करने वाले मुस्लिम शासक, भूमण्डल के विभिन्न युगों, वंशों, और क्षेत्रों से सम्बन्धित थे। उनकी भाषायें भिन्न थीं किन्तु उनके व्यवहार का प्रारूप् पूर्णतः एक समान था और वह अब भी है। इस चमत्कारिक व्यवहार की एकरूपता, का कारण कुरान, हदीस, सुन्नाह आदि में ही निहित है जिन्हें कि वे गर्व के साथ न केवल उद्धत करते हैं बल्कि अनुसरण भी करते हैं। इस्लामी पंथ के दो पहलू हैं। एक है सैद्धान्तिक पक्ष जो कि इस्लामी धर्म ग्रन्थों, कुरान (अल्लाह के इलहाम या प्रगटीकरण), हदीसों (पैगम्बर के कर्म और वचन) और सुन्नाह (पैगम्बर द्वारा बनाये नियम) द्वारा प्रतिपादित है। दूसरा पक्ष है जिहाद यानी कि इस्लामी धर्म युद्ध। ये दोनों पक्ष आपस में पूरी तरह जुड़े हुए हैं और यह पवित्र कुरान ही है जो कि अल्लाह के मार्ग में अल्लाह के लिए इस्लामी संघर्ष, ”जिहाद” करने को प्रेरित तथा निर्देश करता है, मार्गदर्शन् करता है। आज भूमण्डल के सभी प्रबुद्ध नागरिक, विभिन्न भागों में बोस्नियाँ से लेकर फिलिपाइन तक, चैचिनियाँ से लेकर कश्मीर तक, रह रहे हैं, अरबी शब्द ”जिहाद”, से किसी न किसी मात्रा में परिचित हो चुके हैं, और कुछ ...